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इन symptoms को नज़र अंदाज़ न करे ,जान लेवा हो सकती है ...

इन symptoms को नज़र अंदाज़ न करे ,जान लेवा हो सकती है ...


 अब भी कई शहर गर्मी से झुलस रहे हैं। तेज गर्मी और गर्म हवाओं के कारण बहुत से लोगों को डीहाइड्रेशन से लेकर उल्टी, सिरदर्द, तेज बुखार, पेट दर्द, डायरिया जैसी बीमारियां हो रही हैं। जब गर्म हवाएं चलती हैं, तब शरीर में पानी की कमी का खतरा बढ़ जाता है। इससे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

इन दिनों ज्यादातर लोगों में तेज बुखार की समस्या देखी जा रही है। इसका कारण जानने के लिए हमने बात की फिजिशियन और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.बालकृष्ण श्रीवास्तव से, जिन्होंने हमें कारण के साथ-साथ इससे बचने के उपाय भी बताए।

सवाल: गर्मी के दिनों में कौन-कौन-सी परेशानी होती है?

जवाब: बुखार,गैस, दस्त, अपच, कब्ज जैसी परेशानी हो सकती है। इस मौसम में काफी ज्यादा पसीना निकलता है। इससे पानी की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे में आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इसके अलावा थकान, पेशाब कम होना, सिर दर्द, रूखी त्वचा, कब्ज, चक्कर जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।

सवाल: गर्मी में तेज बुखार की समस्या क्यों होती है?

जवाब: बारिश की वजह से कभी अचानक गर्मी से राहत मिल जाती है तो कभी लू के थपेड़ों से जीना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हमारी कुछ आदतें भी बीमारी का कारण बन जाती हैं।

धूप से आकर तुरंत पानी या कोल्ड ड्रिंक जैसी ठंडी चीजें पीना।

बाहर से आकर सीधे AC वाले कमरे में पहुंच जाना।

धूप से आने के बाद हाथ-मुंह धोना और सिर गीला करना।

यही आदतें सर्दी-खांसी और बुखार जैसी समस्याएं पैदा करती हैं।

सवाल: बुखार के अलावा गर्मी के दिनों में होने वाली बाकी बीमारियों से बचने के लिए क्या करें?

जवाब:

शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है। ऑफिस हो या घर रेगुलर पानी पीते रहें, ताकि शरीर में पानी का लेवल मेंटेन रहे।

उल्टी-दस्त होने पर तत्काल ORS के घोल पीना शुरू कर दें।

घर में ORS न हो तो हल्का सा नमक और चीनी का घोल तैयार कर लें।

इन दिनों कई लोग हाइपर थर्मिया के भी शिकार हो रहे हैं…

सवाल: हाइपर थर्मिया क्या है?

जवाब: हाइपर थर्मिया गर्मी या अधिक गर्म हवा के कारण होने वाला बुखार है। दरअसल, मौसम का तापमान बढ़ने के साथ-साथ बॉडी का तापमान भी बढ़ने लगता है। ऐसे में दिमाग में मौजूद हाइपोथैलेमस ग्लैंड, जो कि बॉडी में हीट रेगुलेटरी सिस्टम की तरह काम करती है, वह काम करना बंद कर देती है और तापमान का संतुलन बिगड़ जाता है। शरीर से अनावश्यक गर्मी बाहर न निकलने की वजह से यह गर्म होने लगती है। पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन से भी ऐसा कई बार होता है।

सवाल: हाइपर थर्मिया में बचाव कैसे करें?

जवाब:

बॉडी को ज्यादा ढंक कर न रखें।

सूती और ढीले-ढाले कपड़े ही पहनें।

ठंडे कमरे या ठंडी जगह में ही रहें।

बुखार में शरीर पर गीला कपड़ा फेरते रहें।

कोशिश करें कि कमरे का तापमान 30 डिग्री रहे।

ORS, ग्लूकोज या नींबू पानी पीते रहें।

लस्सी, आम का पना, मठा, सत्तू भी पी सकते हैं।

धूप और तेज गर्मी में कहीं आने-जाने से बचें।

लौकी, ककड़ी, तरबूज और अनार जैसे फल खाएं।

चटपटा, मिर्च-मसालेदार और बासी खाना न खाएं।

इस मौसम में बुखार के अलावा ये समस्याएं भी हो सकती हैं।

गर्मियों में खाने में कीटाणु जल्दी पनपते हैं। ऐसे में खाना जल्दी खराब हो जाता है। बासी खाना या उल्टा-सीधा खाने से गर्मियों में कई बार डायरिया यानी उल्टी-दस्त की शिकायत भी होती है।

ये हैं डायरिया के लक्षण

बुखार

उल्टी

सिरदर्द

पेट दर्द

लूज मोशन

जी मिचलाना

भूख न लगना

बार-बार प्यास लगना

बार-बार बाथरूम जाना

डायरिया से बचने के लिए करें यह उपाय

पानी और नमक की कमी को दूर करें।

नमक-चीनी का घोल या ORS पिएं।

दिन में 6-7 बार यह घोल जरूर पिएं।

काली चाय में नींबू का रस मिलाकर भी पी सकते हैं।

हल्का-फुल्का खाना जैसे दलिया या खिचड़ी ही खाएं।

खाने में दही और फलों में केला खा सकते हैं।

फ्रेश खाना ही खाएं, बासी खाने से परहेज करें।

सफाई का ख्याल रखें। खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।

उबला हुआ, हल्का गुनगुना पानी पीना बेहतर होगा।

बच्चों के लिए करें यह घरेलू उपाय

राइस कंजी दें: ये दस्त के लिए एक बेहतरीन उपाय है। एक मुट्ठी राइस पाउडर पानी में हल्का सा नमक मिलाकर कम से कम 10 मिनट पकाएं। थोड़े देर बाद इसमें पानी मिलाकर पतला कर लें। इसे बच्चे को पिलाएं।

उबला हुआ पानी दें: सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि आप पीने वाले पानी को किस तरीके से शुद्ध करते हैं। पीने वाला पानी अच्छे से उबला हुआ हो और फिल्टर करके साफ-सुथरी जगह पर स्टोर किया गया हो।

एंटीबायोटिक देने से बचें: बच्चे को कोई भी एंटीबायोटिक दवा डॉक्टर की सलाह के बिना न दें। दवाओं के बारे में डॉक्टर से सही जानकारी लेने के बाद ही दवाई दें। अगर बच्चे को उल्टी की दवा दे रहे हैं तो ध्‍यान रहे कि इसके तुरंत बाद उसे फीडिंग न कराएं। दवा देने के कम से कम एक घंटे बाद फीडिंग कराएं।

बच्चे को लिक्विड डाइट दें: अगर बच्चा बहुत छोटा है तो उसे मां के दूध से ही सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं। बड़े बच्चों को बिना मसाले वाला और आसानी से पचने वाला खाना खिलाएं। जैसे- इडली, मूंग दाल, खिचड़ी या चावल की खीर सबसे अच्छी मानी जाती है।

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