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Omicron भले ही जान नहीं ले रहा मगर अंदरूनी अंगो को भरपूर नुकसान पहुँचा रहा है

Omicron भले ही जान नहीं ले रहा मगर अंदरूनी अंगो को भरपूर नुकसान पहुँचा रहा है


 नई दिल्ली. कोरोना (Covid-19) के नई वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर कुछ गलतफहमियां हो रही थीं. अब तक कहा जा रहा था कि ओमिक्रॉन (Omicron) कम घातक है. इसके संक्रमित लोग 3-4 दिन में ठीक हो रहे हैं. ओमिक्रॉन संक्रमण (Omicron Infection) से लोगों की मौत होने का प्रतिशत तो बहुत ही कम है. मतलब यह कोरोना (Covid-19) के पिछले वेरिएंट की तरह नुकसानदायक भी नहीं है. लेकिन एक नई रिसर्च से के नतीजे इन तमाम गलतफहमियों को दूर करने वाले साबित हो रहे हैं. इनमें बताया गया है कि ओमिक्रॉन (Omicron) जान भले न लेता हो, लेकिन संक्रमित व्यक्ति के अंदरूनी अंगों को भरपूर नुकसान पहुंचा रहा है.

जर्मनी की यूनिवर्सिटी क्लीनिक हैंबर्ग-एपेनड्रॉफ (UKE) के विशेषज्ञों ने यह शोध किया है. यह शोध अध्ययन यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है. कोरोना वायरस (Covid-19) का संक्रमण किसी भी किस्म या स्तर का हो, वह संक्रमित व्यक्ति के शरीर के अंदरूनी हिस्सों में अपने निशान छोड़ जाता है. पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन (Omicron) पर भी यह बात लागू होती है. भले, इसके संक्रमितों में कोरोना (Covid-19) के लक्षण नजर न आते हों या बेहद मामूली दिखते हों. इस शोध में 45 से 74 साल की उम्र के 443 लोगों को शामिल किया गया. ये सब कोरोना (Covid-19) से संक्रमित हुए थे, लेकिन बेहद मामूली या हल्के लक्षणों के साथ. कुछ संक्रमितों में तो कोरोना (Covid-19) के लक्षण दिखे ही नहीं थे. इनमें से 93% मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आई थी

लेकिन शोध के दौरान जब इन संक्रमितों के अंदरूनी अंगों का अध्ययन किया गया तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. एक शोधकर्ता ने बताया, ‘जब इन लोगों के फेंफड़ों का परीक्षण किया गया तो पता चला कि वे 3% तक सिकुड़ गए हैं. ऐसे ही, दिल के परीक्षण से मालुम हुआ कि उसकी पंपिंग क्षमता 2% तक कम हो गई है. इतना ही नहीं, खून में मार्कर प्रोटीन की मात्रा तो 41% तक अधिक पाई गई. व्यक्ति तनाव में है, इसकी सूचना इसी प्रोटीन की मात्रा के जरिए दिल तक पहुंचती है.’

शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘कहानी यहां खत्म नहीं होती. कोरोना (Covid-19) से संक्रमित लक्षणहीन या कम लक्षणों वाले मरीजों की किडनी की क्षमता भी 2% तक कम पाई गई. साथ ही, पैरों की नसों में खिंचाव 3 गुना तक अधिक देखा गया. हालांकि मस्तिष्क में इस संक्रमण की वजह से कोई खामी नहीं पाई गई.’ इन संबंध में साइंटिफिक स्टडी सेंटर के निदेशक राफेल ट्वेरेनबोल्ड कहते हैं, ‘ये नतीजे बहुत अहम हैं.

खास तौर पर मौजूदा ओमिक्रॉन (Omicron) संक्रमण से बनी परिस्थितियों को देखते हुए.’ वहीं, यूकेई (UKE) के हार्ट सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर स्टीफन ब्लैंकेनबर्ग कहते हैं, ‘इन नतीजों ने हमें इस लायक बनाया है कि हम कोरोना संक्रमितों के शरीर के अंदरूनी हिस्सों में हुए प्रभाव का समय रहते पता लगाकर उसका इलाज कर सकें.’

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