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लखनऊ कमिश्नरी और जिला अधिकारी के आदेशों के बीच फंसी राजधानी पुलिस

लखनऊ कमिश्नरी और जिला अधिकारी के आदेशों के बीच फंसी राजधानी पुलिस

लखनऊ कमिश्नरी और जिला अधिकारी के आदेशों के बीच फंसी राजधानी पुलिस



पहले उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शराब की दुकानें खोलने को लेकर शराब दुकानों के सामने पुलिस जद्दोजहद करती हुई दिखी।

उसके बाद बुधवार को कलेक्ट्रेट से आदेश आया कि प्राइवेट ऑफिस लखनऊ में खुलेंगे।

उधर लखनऊ कमिश्नरेट की धारा 144 पहले से ही लागू थी।

जैसे ही कलेक्ट्रेट से आदेश आया उसके दूसरे दिन लखनऊ की सड़कों पर भारी भीड़ देखने को मिली। अब लखनऊ पुलिस करे तो क्या करें प्राइवेट ऑफिस खुलने से जहां सड़कों पर गाड़ियां और भीड़ देखने को मिली वहीं धारा 144 का राजधानी में कोई मतलब ही नहीं रहा।

राजधानी में लखनऊ पुलिस ने कई जगह से वेरीकेटिंग हटा दी कल की बात करें तो कई चौराहों से पुलिस नदारद थी पिछले दिनों की अपेक्षा कुछ जगहों को छोड़कर चेकिंग के नाम पर जीरो था लोगों का धड़ल्ले से आना जाना था कई चौराहों पर बैरिकेडिंग को पूरी तरह से हटा दिया गया था कई चौराहों पर पुलिस थी तो पर चेकिंग नहीं कर रही थी अब पुलिस के सामने कलेक्ट्रेट और कमिश्नरेट दोनों आदेशों के बीच चुपचाप बैठे रहना ही सही समझा कल पूरी तरह से राजधानी लखनऊ में लोगों का आना-जाना रहा सड़कों पर गाड़ियां देखने को मिली कोविड-19 नामक महामारी को लेकर जहां पिछले 45 दिनों से जद्दोजहद चल रही थी वह कल लखनऊ की सड़कों पर देखने को नहीं मिली।

राजधानी लखनऊ के कई चौराहों पर वेरीकेटिंग हटा दी गई पुलिस ने चेकिंग नहीं की लोगों का धड़ल्ले से आना-जाना जारी रहा अब देखने वाली बात होगी कि आज क्या स्थिति रहती है या कोई नया आदेश आता है।


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